अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद, अब सभी की निगाहें मंदिर में स्थापित भगवान राम की मूर्ति पर हैं। इस मूर्ति को बनाने का काम कर्नाटक के रहने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है।
अरुण योगीराज ने बताया कि मूर्ति बनाने में उन्हें लगभग 3 साल का समय लगा। मूर्ति को बनाने के लिए उन्होंने 150 किलो से 200 किलो तक का काले पत्थर का इस्तेमाल किया है। मूर्ति की ऊंचाई 5 फीट है और इसमें भगवान राम के बाल रूप को दर्शाया गया है।
मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बताया कि उन्होंने मूर्ति को बनाने के लिए प्राचीन ग्रंथों और चित्रों का अध्ययन किया। उन्होंने भगवान राम के बाल रूप को बहुत ही सुंदर और आकर्षक बनाया है।
राम मंदिर की मूर्ति का अनावरण 22 जनवरी 2024 को किया गया था। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने मूर्ति को देखकर बहुत खुशी व्यक्त की और कहा कि यह मूर्ति पूरे देश के लिए गर्व की बात है।
राम मंदिर की मूर्ति का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है। यह मूर्ति हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस मूर्ति के निर्माण से हिंदुओं में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
राम मंदिर की मूर्ति: अरुण योगीराज की कला और अद्वितीय विवरण
अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित मूर्ति ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। यह मूर्ति, भगवान राम के बाल रूप की, अपने सौंदर्य और कलात्मकता के लिए प्रशंसा का पात्र है। इस अद्भुत कृति के पीछे प्रतिभाशाली मूर्तिकार अरुण योगीराज की कहानी और मूर्ति के अज्ञात पहलुओं को जानना रोचक होगा।
योगीराज की कलात्मक यात्रा:
कर्नाटक के मैसूर से ताल्लुक रखने वाले योगीराज, पीढ़ियों से चली आ रही शिल्पकला परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। उनकी पत्नी वैदेही भी एक मूर्तिकार हैं और अक्सर उनके साथ मिलकर काम करती हैं। योगीराज ने भारत के कई प्रतिष्ठित मंदिरों के लिए मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें कर्नाटक का गोल्कुला मंदिर और तमिलनाडु का मीनाक्षी मंदिर शामिल हैं।
मूर्ति की विस्तृत जानकारी:
- प्रयुक्त पत्थर: शालिग्राम शिला। यह पत्थर नेपाल की गंडकी नदी के तट पर मिलता है और भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है।
- मूर्ति का रंग: काला। हालांकि, यह वास्तव में गहरे भूरे रंग का पत्थर है, जिस पर विशेष तेल लगाने से कालापन आ जाता है।
- मूर्ति की शैली: दक्षिण भारतीय शैली, हालांकि चेहरे की बनावट में उत्तर भारतीय प्रभाव भी शामिल है।
- मूर्ति के अलंकरण: कमल का सिंहासन, कौस्तुभ मणि, मुकुट, कुंडल और कमरबंद आदि।
अरुण योगिराज: पिता से सीखकर बन गए भारत के सबसे लोकप्रिय मूर्तिकार
अरुण योगिराज का जन्म कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ था। उनके पिता भी एक मूर्तिकार थे और उन्होंने अरुण को बचपन से ही मूर्तिकारी सिखाई। अरुण ने शुरू में MBA की पढ़ाई शुरू की, लेकिन पिता को मूर्ति गढ़ते देख उनका मन मूर्तिकारी में लग गया। उन्होंने अपने पिता से मूर्तिकारी सीखी और आज वे भारत के सबसे लोकप्रिय और सबसे ज्यादा प्यार किए जाने वाले मूर्तिकार बन चुके हैं।
अरुण योगिराज ने कई प्रतिष्ठित मंदिरों के लिए मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें कर्नाटक का गोल्कुला मंदिर और तमिलनाडु का मीनाक्षी मंदिर शामिल हैं। उन्होंने आदि शंकराचार्य, स्वामी रामकृष्ण परमहंस और डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्तियां भी बनाई हैं।
अरुण योगिराज की बनाई हुई राम लल्ला की मूर्ति को अयोध्या के राम मंदिर के लिए चुना गया था। इस मूर्ति को बनाने में उन्हें तीन साल का समय लगा था। मूर्ति का वजन 150 किलो से 200 किलो तक है और इसमें भगवान राम के बाल रूप को दर्शाया गया है।
अरुण योगिराज के पिता का नाम बसवन्ना शिल्पी था। वे एक बहुत ही प्रतिभाशाली मूर्तिकार थे और उन्होंने कई प्रसिद्ध मूर्तियां बनाई हैं। अरुण योगिराज को अपने पिता से बहुत प्रेरणा मिली है और उन्होंने अपने पिता के मार्गदर्शन में मूर्तिकारी में महारत हासिल की है।
अरुण योगिराज का कहना है कि मूर्तिकारी उनके लिए एक जुनून है। वे मूर्तियों के माध्यम से लोगों को भगवान के प्रति प्रेम और आस्था जगाने का प्रयास करते हैं। वे कहते हैं कि मूर्तिकारी एक बहुत ही कठिन कार्य है, लेकिन जब आप अपने काम से प्यार करते हैं तो आपको कोई कठिनाई नहीं होती है।
अरुण योगिराज की सफलता से उनके परिवार और दोस्तों को बहुत खुशी हुई है। उनके पिता का कहना है कि वे अरुण पर बहुत गर्व करते हैं। अरुण योगिराज के भाई ने कहा कि अरुण ने अपने पिता के सपने को पूरा किया है।
अरुण योगिराज की कहानी एक प्रेरणा है कि अगर आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो आपको कड़ी मेहनत और लगन से काम करना चाहिए।
कला से परे एक संदेश:
योगीराज का मानना है कि मूर्ति सिर्फ कला का प्रतिबिंब नहीं है, बल्कि आध्यात्मिकता और शांति का संदेश भी देती है। उन्होंने हर विवरण को सावधानी से बनाया है, ताकि दर्शनार्थियों को भगवान राम के दिव्य स्वरूप का अनुभव हो।
राम मंदिर की मूर्ति सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि ऐतिहासिक महत्व और कलात्मक उत्कृष्टता का मेल है। योगीराज की निपुणता और समर्पण ने इस मूर्ति को एक ऐसी कृति बना दी है, जो आने वाली सदियों तक श्रद्धालुओं को आकर्षित करती रहेगी।